‘एकल श्रीहरि’ एकल अभियान के अंतर्गत एक समाजसेवी संगठन है । जिसका मुख्य उद्देश्य एकल अभियान के पंचमुखी शिक्षा में से एक मूल्याधारित संस्कार शिक्षा के द्वारा सुदूर, पर्वतीय , जनजातियों, वनांचलों में बसे वन -बंधुओं के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उत्थान के लिए कार्य करना है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयास करना है।
सर्वप्रथम 1996 में श्रीहरि सत्संग समिति की कलकत्ता में तथा 1998 में मुंबई में स्थापना की गई ।
वनवासियों को समर्पित ‘एकल अभियान ‘ को राष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार (2017) से सम्मानित किया गया है।
https://www.shss.org.in/
हमारा लक्ष्य –
– 4 लाख वनवासी जनजातीय गाँवों में संस्कार केन्द्र की स्थापना।
– 40 करोड़ वनवासी समाज को नगरीय समाज से जोड़ना और ऊर्जावान बनाना एवं महिलाओं तथा युवाओं को योजना में मुख्य रूप से जोड़ना।
-वनवासी गाँवों में सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रमों का अधिकाधिक आयोजन कर संस्कारित, स्वावलंबी, स्वास्थ्य और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक वनवासी समाज की स्थापना करना ।
हमारे संगठन –
(1) नगर संगठन
(2) ग्राम संगठन
कथाकार योजना
एकल श्रीहरि द्वारा गाँव के युवा भाई-बहनों को संतों और कथाकारों के द्वारा प्रशिक्षण देकर उनके अपने अपने वनक्षेत्रों में हरिकथा, सत्संग, परिवार मंगल, ग्राम मंगल अनुष्ठान इत्यादि का आयोजन किया जाता है।
श्रीहरि रथ योजना
एकल श्रीहरि की श्रीहरि रथ योजना ने वनवासी क्षेत्रों में चमत्कार किया है । इसके अंतर्गत एक मिनी ट्रक को रथ का स्वरुप दिया जाता है जिसमें भगवान का छोटा-सा मंदिर होता है । यह रथ गाँव-गाँव घूमता है । जब यह रथ गाँव में जाता है तो उस गाँव के लोग उसका स्वागत करते हैं । रथ के मंदिर में भगवान की पूजा अर्चना होती है और सायंकाल को उसी रथ पर स्क्रीन लगाकर रामायण, महाभारत, तथा अन्य संस्कारशील फिल्में दिखायी जाती हैं जिसका वनवासियों पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है । रथ में दी गयी शिक्षा सत्संग से “व्यसन मुक्ति” के हमारे अभियान को सबसे अधिक लाभ पहुँचता है । इस उपक्रम से वनवासियों में सामाजिक समरसता तथा नई जागृति आ रही है।
व्यास व आचार्य कथाकार योजना
कथाकारों /आचार्यों के निर्माण के लिए श्रीहरि सत्संग समिति द्वारा वनवासी ग्रामीण अंचलों से ही बहनों और भाइयों का चयन किया जाता है । इसके बाद उन्हें समिति के देश भर में स्थापित प्रक्षिक्षण केंद्रों में पूरे अनुशासन और संयम – नियम के अनुसार 9 महीने का कथा प्रशिक्षण दिया जाता है । प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने पर उन कथाकारों को रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिवकथा के माध्यम से वनांचलों में वनवासियों को अपनी लोक संस्कृति, संस्कार, तथा जीवन पद्धति के बारे में शिक्षित करने के लिए गाँव में भेजा जाता है, जहाँ वे संस्कार केंद्र में दैनिक /साप्ताहिक /पाक्षिक सत्संग – स्वाध्याय के माध्यम से ग्रामवासियों में जागरूकता पैदा करते हैं। ये व्यास व आचार्य कथाकार गाँव – गाँव जा कर धर्म सभाओं का आयोजन करवाते हैं तथा सामूहिक व्यसन मुक्ति का संकल्प करवाते हैं ।
गौ ग्राम योजना
गोपाल के देश में गौमाता के रक्त की एक बूंद भी भारतमाता को व्यथित करेगी, इसी संकल्प से गौ ग्राम योजना प्रारम्भ की जा रही है । इस योजना में बिन दुधारू गौवंश को एकल गाँव के किसान परिवार में देंगे और गोबर,गौमूत्र से निर्मित उत्पादों द्वारा उस परिवार को स्वावलंबी बनाएँगे । इसमें गौ-रक्षा और गौ-संस्कार (नगरीय व ग्रामीण समाज ) दोनों समाहित हैं। योजना के प्रथम चरण काल में 8000 गौमाता को 8000 किसान परिवार में पहुँचाना।
वनयात्रा
एकल अभियान का महत्वपूर्ण पड़ाव वनयात्राएँ हैं, जिसके अंतर्गत शहर तथा वनांचलों के बीच सद्भावपूर्ण वातावरण के निर्माण के लिए तथा प्रकृति के संरक्षण में लगे वनवासियों के जीवन को नजदीक से देखने, जानने, समझने और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए अपना योगदान देने की मानसिकता को तैयार करने के लिए वनयात्राओं का आयोजन शहर तथा वनांचलों और सुदूर गाँवों के बीच सेतुबंध का काम करता है।